1.पुर्तगाली CLICK HERE
2. डच कंपनी
- - कंपनी किस देश से संबंधित है :- हालैंड या नीदरलैंड
- - इस कंपनी का ऑफिशियल नाम क्या था या औपचारिक नाम:_- //???
- - इस कंपनी का स्थापना कब हुई तथा यह भारत में सबसे पहले कब और कहां आई?
- - स्थापना वर्ष कब?
- भारत आगमन का वर्ष?
- - भारत में वह स्थल जहां इस कंपनी की स्थापना जहां कंपनी ने अपना पहला फैक्ट्री स्थापित किया?
1602 में स्थापित और 1605 में हिंदुस्तान यात्रा और उसका यात्रा के दौरान सबसे पहले गोलकुंडा जो कि आंध्र प्रदेश में है| और मसूलीपट्टनम सबसे पहले स्थापित किया| जोकि साउथ ईस्ट आंध्र प्रदेश का बंदरगाह है| मसूलीपट्टनम आंध्रप्रदेश के दक्षिण पूर्वी तटीय स्थानों पर स्थित है| मसूलीपट्टनम उस समय गोलकुंडा के सुल्तानों के क्षेत्र में आया करता था|
1602 में जब डच का संसद ने वहां के व्यापारियों के नाम कंपनी एक अधिकार पत्र जारी किया तो वहां के कुछ व्यापारियों के नाम तो उस अधिकार पत्र में क्या कहा गया था उसमें कहा गया था कि
"आप युद्ध कर सकते हैं ,आप क्षेत्र जीत सकते हैं, आप संधि कर सकते हैं, और आप अपने क्षेत्रों का किलेबंदी कर सकते हैं|"
[ जो डच का संसद अपने व्यापारियों के नाम जो अधिकार पत्र जारी किया था, उसमें उपयुक्त निम्न शब्द का अधिकार दिया था तो इससे एक ही बात जाहिर होती है कि वह कंपनी व्यापारिक कंपनी नहीं थी , यह कंपनी शुरू से ही साम्राज्यवादी महत्वकांक्षा लेकर भारत आई थी क्योंकि एक व्यापारिक कंपनी कभी युद्ध नहीं करती है वह तो केवल मुनाफा कमाने के चेष्टा करती है लेकिन यदि इस कंपनी को ऐसे दस्तावेज मिले हैं जिनमें इन बैंकॉक तक का आक्रामक उल्लेख है तो दिखता है कि वह कंपनी व्यापार के साथ ही साथ साम्यवाद विकास महत्वकांक्षा करती थी|]
डच कंपनी का मुख्य उद्देश्य
इसका उद्देश्य था व्यापारिक लाभ कमाना लेकिन लाभ कमाना किस तरीका से लाभ कमाना, यह कंपनी इंडिया से कपड़ा खरीदी थी, ना की मसाला और उस कपड़े को यह इंडोनेशिया में बेच देती थी और इंडोनेशिया से मसाला उठाती थी| और उस मसाले को यूरोप में भेजती थी|डच ईस्ट इंडिया कंपनी का व्यापारिक उद्देश्य पुर्तगाली एवं ब्रिटिश कंपनी के सापेक्ष कुछ अलग थी| इस कंपनी का मुख्य उद्देश्य था, मसालों का व्यापार भारत से ना कर दक्षिण पूर्वी एशियाई देश इंडोनेशिया से करना और इस क्रम में डच कंपनी भारत से वस्त्र करती थी| और इंडोनेशिया के बाजार में बेजती थी उस व्यापार से प्राप्त आय से मसाला खरीदने में निवेश करती थी| ताकि यूरोप में उस मसाला को बेचकर अधिक से अधिक मुनाफा कमाया जा सके| इसीलिए डच कंपनी ने भारत के मालाबार तट पर ज्यादा व्यापारिक अभीरुचि नहीं रखती थी उसका अभिरूचि मुख्य रूप से कोरोमंडल तट पर था|
भारत में डच ईस्ट इंडिया कंपनी के व्यापारिक गतिविधियों का विकास
1605 मसूलीपट्टनम, 1610 पुलिकट[ यह झील भी है, तमिलनाडु]- पुलिकट:- डच कंपनी का पहला व्यापारिक मुख्यालय ,
- यहां पर डच कंपनी अपना स्वर्ण सिक्कों का ढलाई करते थे| जिससे पैगोडा के नाम से जाना जाता है,यह सोने के सिक्के हुआ करते थे|
- डचों ने इस स्थान पर एक किलेबंद वस्ती का स्थापना किया था, जिसे गेल्ड्रिया कहते थे|
- बंगाल में डचो की फैक्ट्रियां पिपली स्थान का नाम है, कासिम बाजार और चीनसूरा में स्थित था| यही इन तीनों में सबसे खास चीनसूरा है
- इसलिए खास है कि,यह बंगाल में डच कंपनी का व्यापारिक मुख्यालय है| यहां पर डचों की एक किलेबंद वस्ती है, जिसे गुसतावूस कहते हैं
- हरिहरपुर[ उड़ीसा] डचों की फैक्ट्री
- सूरत- गुजरात
- पटना- बिहार
- आगरा- उत्तर प्रदेश
- कोचीन- केरल
- नेगपट्टनम- तमिलनाडु
सभी डचों की फैक्ट है
1690 में पुलिकट के स्थान पर तमिल स्थित नेगपट्टनम को अपना मुख्यालय बना लिया| व्यापारिक गतिविधियों का मुख्यालय 1690 में पुलिकट के स्थान पर नेगपट्टनम में कर लिया
डच कंपनी भारत में पतन के कारण
- अंग्रेजों के सापेक्ष डच कंप एवं नौसेना के पिछड़ गई जैसे:-1759 में बेदरा के युद्ध में लॉर्ड क्लाइव मैं इस कंपनी को पराजित करके हमेशा के लिए भारत में इसके साम्राज्यवादी महत्वकांक्षा को हमेशा हमेशा के लिए समाप्त कर दिया|
- डच कंपनी के प्रशासनिक तंत्र में भ्रष्टाचार व्याप्त होना जो इसकि क्षमता को खत्म करने में सहायक भूमिका निभाई |
- अंग्रेजो के तुलना में डच कंपनी को मुगल बादशाहो से व्यापारिक रियायत की प्राप्ति कम हुई|
डच कंपनी योगदान
- भारत से सूती वस्त्र के निर्यात को मुख्य निर्यातक वस्तु के रुप में स्थापित करने में डचों का महत्वपूर्ण भूमिका थी|
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