महालवाड़ी व्यवस्था
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कब
किसके द्वारा
क्यों
विशेषता
समीक्षा
महालवाड़ी शब्द
मारवाड़ी दो शब्द से मिलकर बना हुआ है, जिसमें महाल का अर्थ है, गांव मोहल्ला कस्बा इत्यादि और वाड़ी का आशय है प्रबंधन| अर्थात महलवाड़ी भू राजस्व के पद्धति में एक गांव को ही इकाई मानते हुए ,उसके साथ भू-राजस्व का बंदोबस्त कर दिया गया |इस पद्धति के तहत उस गांव को सामूहिक रुप में अर्थात अपना प्रधान के माध्यम से सरकार को अपना उपज का अंश देना पड़ता था |कहां
उत्तर प्रदेश मध्य भारत पंजाब इत्यादि के क्षेत्र में यानी कि भारत में ब्रिटिश कंपनी के कुल भूभाग के 30% भाग जमीन पर इस व्यवस्था पर यह लागू किया गया|[19+51+30]कब
उन्नीसवीं सदी के दूसरे दशक से इस प्रक्रिया की प्रारंभ हुई जो कालांतर में पंजाब के क्षेत्र के विजय के बाद वहां भी इसे लागू कर दिया गया|किसके द्वारा
हॉल्ट मैकेंजी , रॉबर्ट बर्ड, जेम्स टॉम सॉन्गक्यों
महलवारी व्यवस्था के संदर्भ में भी उपयोगितावादी विचारधारा के प्रभाव को स्वीकार किया जाता है| और इसलिए इस व्यवस्था में भी किसानों के स्वामित्व के साथ छेड़छाड़ नहीं किया, और साथ ही साथ इस व्यवस्था में सिंचाई संसाधनों के विकास पर बल दिया गया |इसकी विशेषता
1. यह व्यवस्था एक गांव को इकाई मानकर उसके साथ राज्य द्वारा भू राजस्व का प्रबंधन करने के विचार पर आधारित थी|2. इस व्यवस्था में मध्यस्थ वर्ग का अभाव था, यह व्यवस्था स्थाई न होकर 20 से 30 वर्षों के लिए हुआ करती थी,(अल्पकालिक थी) ,पुनः इसका निर्धारण होता था इस पद्धति में भी राजस्व कादर अधिकतम था कभी-कभी यह दर 66% तक हो जाता था|
समीक्षा
उल्लेखनीय है, कि महलवाड़ी व्यवस्था में कृषि के क्षेत्र में कुछ सुधार हुए जैसे सिंचाई योजनाओं की शुरूआत, लेकिन सरकार के साम्राज्यवादी स्वरूप होने के कारण इस व्यवस्था के माध्यम से भी किसानों के जीवन में कोई गुणात्मक परिवर्तन नहीं हुआ|इससे जुड़े प्रश्न
ब्रिटिश काल में भू राजस्व के विभिन्न प्रचलित पद्धतियों का उल्लेख करते हुए बताएं कि उसके द्वारा भारतीय किसान के जीवन पर क्या प्रभाव पड़ा.?
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