अकाल

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1. भू राजस्व पद्धति2. कृषि का वाणिज्यिकरण3. भारतीय हस्तशिल्प उद्योगों का  विनाश  4. भारतीय भारतीय धन का निष्कासन5. भारत में रेलवे का विकास6.  भारत में आधुनिक उद्योगों का विकास

7. भारत में अकाल[vvi]



                                               अकाल 


इस चैप्टर को पढ़ने से पहले मुख्य टॉपिक को ध्यान में रखते हुए पढ़ेंगे जैसे 

क्या है अकाल 

अकाल के कारण 


  • प्राकृतिक 
  • मानव कृत 

प्रमुख आकार तथा अकाल आयोग 

इसका प्रभाव 

हिस्टोरिकल डिबेट 


  • राष्ट्रवादी 
  • साम्राज्यवादी 




अकाल क्या है


  • मानसून के अनिश्चिता के कारण जब फसलों के उत्पादन में हरास हो जाए और उसके कारण जब प्रति व्यक्ति प्रतिव्यक्ति अनाज की अनुपलब्धता स्थिति में आ जाए तो इसी अवस्था को अकाल कहते हैं
  •  सरकारी स्तर पर ऐसा माना जाता है कि यदि कोई क्षेत्र मानसून के खराबी के कारण लगातार 3 वर्ष तक सूखा ग्रस्त घोषित कर दिया जाए तो इस अवस्था को भी अकाल की अवस्था ही कहा जाएगा|
  •        प्रसिद्ध अर्थशास्त्री अमर्त्य सेन कहते हैं कि यदि फसलों के उपज में विशेष अंतर ना आए लेकिन वितरण व्यवस्था दोषपूर्ण हो जाए तो भी अकाल की अवस्था उत्पन्न हो सकती है|



सवाल यह है कि ब्रिटिश काल में पड़ने  वाले अकालों के पीछे मुख्य कारण क्या है.?


  • अकाल एक प्राकृतिक आपदा है अर्थात भारतीय कृषि मानसून के साथ एक जुआ के साथ एक खेल है ऐसे में अकालों के पीछे प्राकृतिक कारणों की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता,लेकिन ब्रिटिश काल में अकालों की बारंबार या निरंतरता उसके प्राकृतिक स्वरूप से ज्यादा उसके कृत्रिम स्वरूप की ओर संकेत करती है|
  • इन अकालो की निरंतरता के लिए ब्रिटिश सरकार की साम्राज्यवादी सरकार प्रत्यक्ष तौर पर जिम्मेदार थ
  • भू राजस्व का अधिक दर
  • कृषि का वर्गीकरण जिसका लाभ किसानों को नहीं मिला जमींदार व्यापारी एवं साहूकारों को प्राप्त हुआ
  • सिंचाई साधनो का आपर्याप्त विकास क्योंकि सरकार नहरों के विकास स्थान पर विदेशी ऋण लेकर रेलवे का विकास कर रही थी
  • खाद्यान्नों की निर्यात करने की प्रक्रिया, साम्राज्यवादी सरकार अकालों के समय में लोगो तक खाद्यान्नों की उपलब्धता को सुनिश्चित करने की बजाय खाद्यान्नों का निर्यात करती थी
  • हस्तशिल्प उद्योगों का विनाश हस्तशिल्प उद्योगों का विनाश के बाद कृषि के ऊपर और दबाव बढ़ गया जो पहले से ही ब्रिटिश सरकार के राजनीति से शोषण की शिकार थी
  • जन वितरण प्रणाली में दोष तथा कला व्यापारी
  • संस्थागत स्तर पर सरकार द्वारा ना तो साख की व्यवस्था किया गया ताकि किसानों को महाजनों के चंगुल से रक्षा किया जा सके और ना ही नवीन तकनीकी का निवेश किया गया ताकि फसलों के उत्पादकता को बढ़ाया जा सके


प्रमुख अकाल


  • ब्रिटिश काल में सबसे भीषण अकाल 1876-78 के दौरान पड़ा जब मद्रास मुंबई मैसूर हैदराबाद आदि क्षेत्र पीड़ित हुए और इस अकाल के बाद लॉर्ड रिटन ने स्ट्रेची आयोग का गठन किया जिसका मुख्य सिफारिश है
  • अकाल के समय में राजस्व की दरों में कटौती कर दिया जाए
  • अनाजों की निर्यात को हतोत्साहित किया जाए, लेकिन इस आयोग ने अपने सिफारिश में pds व्यवस्था में सुधार लाने का कोई परामर्श नहीं दिया और साथ ही साथ इस इसमें राजस्व की कटौती के अस्थान पर पुरे राजस्व व्यवस्था को संशोधन करने की बात कही जब की, आवश्यकता थी सुधार की राहत की नहीं|
  • 1899-1900 में दूसरा भयानक अकाल आया|
  • पंजाब राजस्थान मध्य भारत इत्यादि क्षेत्र प्रभावित हुए
  • लार्ड कर्जन मैकडोनाल्ड कमीशन का गठन किया, जिसने हर प्रांतों में एक अकाल आयुक्त का पद बनाने का सिफारिश किया |

प्रभाव


  • जान और धन की क्षति|
  • ग्रामीण अर्थव्यवस्था पूरी तरह से प्रभावित हुई |
  • लोगों की सामाजिक जीवन स्तर दयनीय हो गई, जैसे उनकी जीवन आयोग का घटना, प्रति व्यक्ति आय घटना |
  • किसान ,मजदूर आदि वर्ग में सरकार की नीतियों के प्रति विक्षोभ पैदा होने लगी और कालांतर में 1857 के क्रांति के लिए पृष्ठभूमि प्रधान किया|

हिस्टोरिकल डिबेट


अकाल के लिए जिम्मेदार कौन  ??

  • साम्राज्यवादी विद्वान कहते हैं कि अकाल प्राकृतिक कारणों से जनित है इसमें ब्रिटिश सरकार का कोई प्रत्यक्ष भूमिका नहीं है इसी तरह उनका यह भी कहना है कि ब्रिटिश सरकार भारत में पूंजीवादी व्यवस्था को लाने का प्रयास किया, लेकिन यहां के किसानों एवं जमींदारों ने उस पूंजीवादी व्यवस्था से कोई फायदा नहीं उठाया |
  • इसके समानांतर राष्ट्रवादी विचार को कहना है की अकाल के पीछे नि:संदेह एक प्राकृतिक कारण अवश्य होते हैं लेकिन इसके निरंतरता के पीछे प्राकृतिक का कारण का योगदान ना होकर ब्रिटिश सम्राज्य की शोषणकारी आर्थिक नीतियां का योगदान था जो कि उनकी राजस्व नीति ,आर्थिक नीति ,आद्योगिक नीति, आदि में दृष्टिगोचर है| भारत में पहले भी अकाल पड़ते थे, लेकिन मेगास्थनीज जैसा व्यक्ति को भारत में पड़ने वाले अखाड़ों का भान नहीं पड़ पाया और उसके द्वारा इंडिका में लिखा गया कि भारत में अकाल नहीं पड़ते हैं|


संक्षिप्त में भारत में पड़ने वाले अकाल ना तो दैवीय प्रकोप थे और इतिहासिक विरासत इसके मूल्य में था ब्रिटिश सरकार की साम्राज्यवादी शोषणकारी नीतियां||

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