क्या आप सहमत हैं, की बेसिन की संधि तर्कसंगत न्यायसंगत तथा बुद्धिसंगत संधि थी..??
उत्तर:-
दिसंबर 1802 में पेशवा बाजीराव द्वितीय और ब्रिटिश कंपनी के बीच बेसिन की संधि हुई,
जिसमें विवश पेशवा अंग्रेज के संरक्षण में जाकर उसके मदद से पेशवा के पद पर पुनः
पदस्थापित करने के लिए बेसिन की संधि कर डाली जिसमे मुख्य प्रधान निम्न है|
ब्रिटिश कंपनी ने पेशवा को सहायता प्रदान करने के लिए एक सेना के गठन का प्रस्ताव
रखा जिसमें पूरा बियर पेशवा को वाहक करना था इसके लिए पेशवा को 26 लाख वार्षिक
आमदनी वाला क्षेत्र ब्रिटिश कंपनी को सपना था |
इस दस्तावेज के अनुसार बिना ब्रिटिश कंपनी के अनुमति के को यूरोपिय व्यक्ति को पेशवा
की सेवा में नहीं रखा जा सकता था|
मराठा संघ का मुखिया यानी प्रधान कंपनी की सहायक संधि की योजना को स्वीकार कर लिया|
इस संधि के माध्यम से यह संधि बुद्धिसंगत है इसलिए कि पेशवा ने कंपनी से सहायता मांगा
और कंपनी पेशवा को सहायता देकर के महाराष्ट्र के अंदर जो अराजकता फैलने की संभावना थी
, आपसी प्रतिस्पर्धा के माध्यम से उसको कंपनी सहन करने में सहायता दिया|
बेसिन की संधि न्यायसंगत संधि थी, क्योंकि सलवाई के संधि के बाद पेशवा ब्रिटिश कंपनी का
दोस्त बन चुका था| दोस्त ने दोस्त से सहायता मांगा तो नैतिकता के आधार पर कंपनी उसको सहायता किया|
और तर्कपूर्ण समधी इसलिए है कि बिना पैसा खर्च एक सेना मिल गई और वह सेना पुणे में
रहेगी पेशवा के सुरक्षा के लिए और आदेश ब्रिटिश कंपनी का मानेगी इसलिए यह तरफ पूर्ण संधि भी है|
क्योंकि उस समय के सरकार का स्वरूप साम्राज्यवादी था और एक साम्राज्यवादी लेखक का
साम्राज्यवादी मनोवृति का परिचायक है| और इस बात में सत्यता का अभाव है इसलिए की यही सरकार
में भारत के अन्य क्षेत्रीय शक्तियों के साथ ऐसे ही समझौता के माध्यम से अपने सम्राज्यवाद को अप्रत्यक्ष
रूप से बढ़ाने का प्रयास किया और सलवाई एक तरह से पैसा के लिए सुरक्षा के लिए नहीं की गई थी
बल्कि मराठा राजनीति में प्रवेश करने का एक रणनीति थी|
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