दैनिक समसामयिकी

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15 March 2017(Wednesday)
1.ब्रेक्जिट विधेयक को बिटेन की संसद से मिली मंजूरी
• ब्रिटिश संसद ने ब्रेक्जिट विधेयक पारित कर दिया। इसके साथ ही प्रधानमंत्री टेरीजा मे को यूरोपीय संघ से ब्रिटेन को बाहर निकालने की दिशा में कदम बढ़ाने का अधिकार मिल जाएगा। इस बिल पर संसद के ऊपरी सदन हाउस ऑफ लार्ड में प्रधानमंत्री को दो बार हार का सामना करना पड़ा था।
• निचले सदन हाउस ऑफ कॉमन्स ने यूरोपीय संघ (बाहर निकलने की अधिसूचना) बिल को बिना कोई बदलाव के ही पारित किया है। हाउस ऑफ कॉमन्स ने सोमवार को पारित बिल में हाउस ऑफ लार्ड द्वारा किए गए दोनों संशोधनों को दरकिनार कर दिया।
• संसद के ऊपरी सदन ने सरकार से ब्रेक्जिट वार्ता शुरू होने के तीन माह के भीतर यूरोपीय संघ के नागरिकों के अधिकार की रक्षा करने की मांग की थी। दूसरे संशोधन में हाउस ऑफ लार्ड ने किसी ब्रेक्जिट समझौते पर संसद में सार्थक मतदान की मांग की थी।
• निचले सदन से पारित होने के बाद अब बिल को महारानी एलिजाबेथ द्वितीय के पास भेजा जाएगा। उनकी सहमति के बाद यह कानून बन जाएगा।
• इसके बाद प्रधानमंत्री टेरीजा इसी सप्ताह लिस्बन समझौते के अनुछेद 50 सैद्धांतिक रूप से काम शुरू कर सकती हैं। अनुछेद 50 में फेरबदल करने की सीमा मार्च में समाप्त हो जाएगी।
2. अंतर्राज्यिक नदी जल विवाद (सं) विधेयक पेश
• अंतर्राज्यिक नदी जल विवादों के समाधान के लिए मौजूदा कानून में संशोधन के मकसद से लोकसभा में मंगलवार को एक महत्वपूर्ण विधेयक पेश किया गया, जिसमें विभिन्न जल पंचाटों को समाहित करते हुए एक पंचाट गठित करने का प्रावधान किया गया है। जल संसाधन, नदी विकास एवं गंगा संरक्षण मंत्री उमा भारती ने अंतर्राज्यिक नदी जल विवाद (संशोधन) विधेयक 2017 सदन में पेश किया।
• बीजू जनता दल के भृतुहरि महताब ने इस विधेयक को पेश किए जाने पर आपत्ति व्यक्त करते हुए कहा कि नदी एवं उससे जुड़े विषय राज्य के अधीन आते हैं और इस बारे में व्यापक र्चचा की जरूरत है। महताब ने कहा कि प्रस्तावित विधेयक का मसौदा बेहद खराब तरीके से तैयार किया गया है और केंद्र सरकार को इसे पेश करने से पूर्व इस पर एक बार फिर से विचार करना चाहिए।
• केंद्रीय मंत्री उमा भारती ने कहा कि इस विधेयक को सुविचारित तरीके से पेश किया गया है और इस विधेयक के माध्यम से एक क्रांतिकारी निर्णय हो रहा है। इस बारे में कानून बनाने का केंद्र को अधिकार है और संविधान में इसका उल्लेख है। उन्होंने कहा कि एक स्थायी पंचाट गठित करने के मकसद से यह विधेयक लाया गया है।
• इस विधेयक को पिछली संप्रग सरकार की ही नीति का अनुसरण बताए जाने पर उन्होंने कहा कि यह विधेयक संप्रग सरकार के समय का ही है, लेकिन संप्रग सरकार इतनी हिम्मत नहीं कर पाई कि इसे सदन में पेश कर सके।
• उन्होंने कहा कि राज्यों के बीच नदी जल विवादों के समाधान में तेजी लाने के मकसद से यह विधेयक लाया गया है। उमा भारती ने विधेयक को सदन में पेश करने के केंद्र सरकार के अधिकार पर सवाल उठाने वाली मेहताब की एक अन्य आपत्ति को भी गलत बताया।
3. गोवा में सरकार गठन पर कांग्रेस को सुप्रीम कोर्ट से रहत नहीं
• गोवा में नवगठित सरकार की वैधानिकता को चुनौती देने वाली याचिका सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दी है . । गोवा में मनोहर र्पीकर के नेतृत्व में भाजपा सरकार के गठन को चुनौती देने पहुंची कांग्रेस को सुप्रीम कोर्ट से राहत नहीं मिली।
• मुख्यमंत्री के शपथ ग्रहण पर रोक लगाने से इन्कार करते हुए मुख्य न्यायाधीश जेएस खेहर ने उलटे कांग्रेस से ऐसे कई सवाल पूछ डाले, जिनका पार्टी कोई जवाब नहीं दे पाई।
• राहत के नाम पर कांग्रेस के हाथ बस इतना आया कि र्पीकर को अब एक दिन बाद यानी 16 मार्च को ही सदन में बहुमत साबित करना होगा।
• मुख्य न्यायाधीश ने पूछे ये सवाल
• अगर कांग्रेस के पास बहुमत था तो वह दावा करने राज्यपाल के पास क्यों नहीं गई?
• जब परिक्कर ने दूसरे दलों के समर्थन का दावा किया तो आपने रायपाल के सामने इसका खंडन क्यों नहीं किया?
• आप राज्यपाल के पास विधायकों के समर्थन पत्र लेकर क्यों नहीं गए?
• जो बात राज्यपाल से कहना चाहिए वे आप कोर्ट में आकर क्यों कर रहे हैं?
• याचिका में दूसरे छोटे दलों के उन विधायकों का समर्थन वाला एफिडेविट नहीं होने पर पूछा, आपने रातभर का समय होने पर भी ऐसा क्यों नहीं किया?
• कोर्ट ने इस दलील को भी मानने से इन्कार कर दिया कि सबसे बड़ी पार्टी होने के नाते सरकार गठन का पहला हक कांग्रेस को था।
4. शत्रु संपत्ति संशोधन बिल को संसद की हरी झंडी
• शत्रु संपत्तियों पर उत्तराधिकार के दावों पर स्थायी तौर पर लगाम लगने का रास्ता साफ हो गया है। संसद ने लंबे समय से लंबित शत्रु संपत्ति कानून संशोधन विधेयक को मंजूरी दे दी है। रायसभा में यह विधेयक पहले ही पास हो चुका है और लोकसभा ने मंगलवार को ध्वनिमत से इसे पारित कर दिया।
• संसद में लंबित रहने के दौरान विधेयक की वैधानिकता को बनाए रखने के लिए सरकार को पांच बार अध्यादेश जारी करना पड़ा था। विधेयक पास होने के बाद राजा महमूदाबाद समेत लगभग एक लाख करोड़ रुपये की शत्रु संपत्तियों पर उत्तराधिकार की दावेदारी खत्म हो जाएगी।
• लोकसभा में विधेयक पर विपक्ष की आशंकाओं का जवाब देते हुए केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि संशोधित कानून से शत्रु संपत्ति का उपयोग कर रहे किरायेदारों पर कोई असर नहीं होगा। उनका अधिकार किरायेदार कानून के तहत सुरक्षित रहेगा।
• गृहमंत्री ने कहा कि शत्रु राष्ट्र या उसके नागरिकों को संपत्ति रखने या व्यावसायिक हितों की मंजूरी नहीं दी जा सकती है। शत्रु संपत्ति का अधिकार सरकार के पास ही होना चाहिए न कि शत्रु देशों के नागरिकों के उत्तराधिकारियों के पास।उन्होंने कहा कि इस विधेयक को साल 1962 के भारत-चीन युद्ध, वर्ष 1965 व वर्ष 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के संदर्भ में ही देखा जाना चाहिए।
• कानून को बनाए रखने के लिए पांच बार अध्यादेश जारी करने की विपक्ष की आलोचना का जवाब देते हुए गृह मंत्री ने कहा कि सरकार भी अध्यादेश का मार्ग नहीं अपनाना चाहती है। लेकिन अत्यधिक आवश्यक होने पर ही ऐसा करना जरूरी हो जाता है।
• इस कानून को पांच दशक पहले से लागू किए जाने पर विपक्ष की आशंकाओं का जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि इससे कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ेगा और पहले भी ऐसे कई कानून बनाए जा चुके हैं। विधेयक को संसद की स्थायी समिति के पास भेजने की विपक्ष की मांग को खारिज करते हुए उन्होंने कहा कि इस बारे में पहले ही व्यापक चर्चा हो चुकी है।
• राजनाथ ने कहा कि नये संशोधनों से मानवाधिकारों या न्याय के नैसर्गिक सिद्धांतों का कहीं से कोई उल्लघंन नहीं होता है। विधेयक में साफ कर दिया गया है कि शत्रु संपत्ति के मालिक का कोई उत्तराधिकारी बाद में यदि भारत लौटता है तो उसका इस संपत्ति पर कोई दावा नहीं होगा।
5. मुख्य आर्थिक सलाहकार ने किया बैड बैंक का समर्थन
• केंद्रीय वित्त मंत्रालय में मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमण्यम ने वसूल नहीं हो रहे ऋणों की समस्या के समाधान के लिए तथाकथित ‘‘बैड बैंक’ जैसे एक राष्ट्रीय बैंक के विचार कर समर्थन करते हुए कहा है कि पूंजीवादी व्यवस्था में सरकारों को कभी कभी बड़ी कंपनियों को कर्ज संकट से उबरने के लिए मदद देनी पड़ती है। हालांकि, ऐसे मामलों में अपने लोगों को फायदा पहुंचाने के आरोप भी लगाए जा सकते हैं।
• भारत में खास कर सरकारी बैंकों के अवरुद्ध ऋणों (एनपीए) की समस्या से निपटने के लिए एक सुझाव ‘‘बैड बैंक’ बनाने का है। सुब्रमण्यम ने कहा कि यह सरकार के स्वामित्व वाला बैंक हो सकता है। ऐसा बैंक दबाव वाले ऋणों की जिम्मेदारी अपने ऊपर लेकर उनके समाधान का प्रयास करेगा।
• दबाव वालेऋणों में वसूल नहीं हो रहे ऋणों (एनपीए) के अलावा पुनगर्ठित ऋण और बट्टे खाते में डाले गए ऋण शामिल होते हैं।
• सुब्रमण्यम ने माना कि बड़े कर्जदारों को राहत देने से भ्रष्टाचार और अपनों को फायदा पहुंचाने वाली पूंजीवादी व्यवस्था चलाने के आरोप लग सकते है। पर उन्होंने कहा कि ‘‘कई बार इस समस्या के समाधान के लिए ऋणों के ढ़ेर को बट्टे खाते में डालने के अलावा कोई रास्ता नहीं बचता।’
Sorce of the News (With Regards):- compile by Dr Sanjan,Dainik Jagran(Rashtriya Sanskaran),Dainik Bhaskar(Rashtriya Sanskaran), Rashtriya Sahara(Rashtriya Sanskaran) Hindustan dainik(Delhi), Nai Duniya, Hindustan Times, The Hindu, BBC Portal, The Economic Times(Hindi& English)

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