भारत में रेलवे का विकास

भारत में रेलवे का विकास हुआ तो उस विकास के पीछे जो सबसे पहले बिंदु उभरकर आती है वह यह है की रेलवे आधुनिक कार्य का एक बेहतर संचार का साधन है|ब्रिटिश सरकार का रेलवे के पीछे  उद्देश्य थे| जैसे :-
इसके द्वारा सम्राज्य की सुरक्षा प्रदान करना
उत्पादन केंद्र को उसको बंदरगाह से जोड़ना,  उत्पादन केंद्र को शहरों से जोड़ना|
 ब्रिटेन में  जो मध्यम वर्ग उभरकर आया जिसके पास अत्यधिक संपत्ति हो चुकी थी , उस संपत्ति को रेलवे के माध्यम से निवेश के लिए |

भारत में जो ब्रिटिश सरकार ने रेलवे का विकास की प्रक्रिया को शुरु किया वह इस विकास की प्रक्रिया में जो सबसे पहले चोट किया वह भारत के हस्तशिल्प उद्योगों पर किया विनाश के कगार पर खड़े हस्तशिल्प उद्योगों पर अंतिम कील ठोका |
आधुनिक उद्योग के विकास की प्रक्रिया को भी अवरुद्ध कर दिया
भारतीय कृषि के विनाश के लिए भी कुछ हद तक उत्तरदाई थी
धन के निष्कासन की प्रक्रिया को भी त्वरित कर दिया
यानी सब मिलाकर के भारतीय रेलवे का विकास ब्रिटिश सरकार ने केवल अपने साम्राज्यवादी हितों  को पोषित करने के लिए किया था| इस संचार साधन का विकास इस उद्देश्य के साथ नहीं किया गया था कि इसके माध्यम से नया हिंदुस्तान उभर कर आए ,आया तो उसका प्रतिफल नहीं था बल्कि उसका एक अवांछित प्रतिफल था |जैसे :-
आधुनिक उद्योग के प्रक्रिया को प्रारंभ किया
शहरीकरण की प्रक्रिया को प्रोत्साहन प्राप्त हुआ
 एक लोकतांत्रिक समाज के निर्णय हेतु मार्ग प्रशस्त र्किया
भारतीय राष्ट्रवाद को एक अखिल भारतीय राष्ट्रवादी राजनीतिक का मंच प्राप्त हुआ
 भारत में रेलवे का विकास साम्राज्यवादी सरकार ने निसंदेह अपने साम्राज्यवादी सरकार ने अपने साम्राज्यवादी हितों की पूर्ति हेतु किया|चुकी साम्राज्यवादी सरकार था और साम्राज्यवादी सरकार का मूल्य उद्देश्य होता है शोषण करना और उसकी जो भी नीतियां होती हैं शोषण के दिशा में ही प्रेरित होती है  लेकिन उसमें उसी उद्देश्य में भारतीय राष्ट्रवाद के लिए कुछ सकारात्मक तत्वों भी मौजूद थे जो साम्राज्यवादी सरकार के उद्देश्य का प्रत्यक्ष प्रतिफल नो होकर अप्रत्यक्ष प्रतिफल था |







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