संविधान के प्रकार

संविधान के प्रकार

भारतीय संविधान की प्रकृति को लेकर पश्चिम के रजनीतिक विचारको के मध्य एक मत का आभाव दिखाई पड़ता है | के.सी.व्हीयर का विचार था की भारतीय संविधान अर्द्ध संघात्मक है| जबकि ब्रिटिश विचारक मॉरिश जॉन ने ये विचार दिया था की भारत का संविधान एक ऐसा संघीय संविधान है, जिसमें केंद्रीयकरण की प्रवृति तीव्र पायी जाती है |

वही दूसरी और प्रारूप समिति के अध्यक्ष डॉ.अम्बेडकर ने ये विचार दिया की भारत का संविधान एक संघीय संविधान है; जिसके केंद्र में संघीय सरकार और उसके चारो और राज्यों तथा इकाइयों की सरकार पायी जाती है लेकिन किसी भी संविधान को संघीय संविधान तभी कहा जा सकता है जब उस संघीय संविधान में निम्न विशेताए पायी जाये-

1) -> लिखित एवम कठोर संविधान

2) -> केंद्र व राज्य के मध्य शक्तियों का विभाजन

3) -> स्वतंत्र न्यायपालिका

ये सभी विशेषताए भारतीय संविधान में पायी जाती है| लेकिन साथ ही साथ भारतीय संविधान में कुछ विशेषताए ऐसी भी पायी जाती है, जो एकात्मक संविधान की है;

जैसे Article – 3, 153, 201, 248, 249, 250, 252, 253, 268, 269, 270, 312, 352, 356, 360, 365, 368, 7th संसोधन

Article 3 -> नये राज्यों की स्थापना

Article 153 -> प्रत्येक राज्य का एक राज्यपाल होगा|

Article 201-> राज्यपाल द्वारा विधेयकों को राष्ट्रपति के लिए आरक्षित करना|

Article 248 -> अवशिष्ट शक्तियाँ, जिसे भारीतय संविधान में केंद्र को प्राप्त है लेकिन अमेरिकी संविधान में यह राज्यों को प्राप्त है

Article 249 -> यदि राज्य सभा 2/3 बहुमत से ये प्रस्ताव पारित कर दे की राज्य सूचि में दिया गया विषय राष्ट्रीय महत्व का है, तो राज्य सभा के प्रस्ताव पर संसद राज्य सूचि के विषयों पर कानून का निर्माण कर सकती है|

Article 250 -> आपात कालीन स्थितियों मे केंद्रीय शक्ति का विस्तार राज्य सूची के विषयो तक होगा|

Article 252 -> यदि 2 या दो से अधिक राज्य आपस में यह सहमति कर ले और संसद को प्रस्ताव करे कि संसद उनके लिए राज्य सूची के विषयो पर कानून का निर्माण करे तो, संसद उन राज्यों के लिए राज्य सूची के विषयो पर कानून का निर्माण कर सकती है |

Article 253 -> अंतर्राष्ट्रीय संघियो क्रियान्यन को लेकर केन्द्र द्वारा राज्यों को निर्देश |

Article 268

Article 269       केन्द्र और राज्य के मध्य कर राजस्व का विभाजन |

Article 270

Article 312 -> नयी अखिल भारतीय सेवाओ कि स्थापना (IAS, IPS etc)

Article 352 -> राष्ट्रीय आपातकाल |

Article 356 -> राज्यों में राष्ट्रपति शासन |

Article 360 -> वित्तीय आपातकाल |

Article 365 -> यदि केन्द्र सरकार के दिए गए निर्देशो का पालन राज्य सरकार नहीं करती है , तो केंद्र सरकार यह मान  लेगी कि राज्य का प्रशासन संविधान के अनुसार नहीं चल रहा है, ऐसी स्थिति में केंद्र सरकार 356 का प्रयोग करके संवेधानिक विफलता के आधार पर राष्ट्रपति शासन लगा सकती है |

Article 356 -> संविधान में संशोधन |

7th अनुसूची -> 7 वी अनुसूची  

केंद्र व राज्य के मध्य शक्तियों का विभाजन –

संघ सूची
राज्य सूची
समवर्ती सूची
इस प्रकार भारतीय संविधान में संघात्मक संविधान के साथ-साथ एकात्मक संविधान के भी लक्षण पाये जाते है, जिसके आधार पर यह कहा जाता है कि भारतीय संविधान मजबूत केंद्र से युक्त संघीय संविधान है, संविधान निर्माताओ ने भारत की स्थिति और परिस्थतियों को लेकर मजबूत केंद्र से युक्त संघीय संविधान का निर्माण किया | अतः उच्चतम न्यायालय एस. आर. बोमई बनाम भारत संघ 1994 के मामले में यह विचार दिया कि भारत का संविधान एक संघीय संविधान है और संघात्मक्ता संविधान का आधार भूत ढांचा है ,अतः भारत का संविधान अपनी आवश्यकताओं के अनुरूप एक ऐसा संघीय संविधान है , जिसमे केंद्र अत्यधिक शक्तिशाली है |

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