भारत में रेलवे का विकास

भारत में रेलवे का विकास ब्रिटेन के निजी कंपनी के पूंजी निवेश के माध्यम से शुरू हुआ | इन कंपनियों को ब्रिटिश सरकार ने यह आश्वासन दिया है कि उनके कुल पूंजी निवेश पर ब्रिटिश सरकार 5% का लाभांश देगा|
                                    और वहीं दूसरी तरफ,पूंजीवाद यह कहता है कि राज्य का आर्थिक गतिविधियों में कोई हस्तक्षेप नहीं होना चाहिए| और यहां पर यह हो रहा है कि जो पैसा निवेश हो रहा है वो एक निजी कंपनी है और उस पैसा निवेश करने में जो जोखिम है"पता नहीं क्या होगा" वह गारंटी ले रही है ब्रिटिश सरकार,
                              यह सिद्धांत पूंजीवाद के सिद्धांत का अवहेलना करता है क्योंकि पूंजीवादी सिद्धांत के अनुसार निजी निवेशक द्वारा प्राप्त लाभ उसके द्वारा लगाए गए पूंजी तथा जोखिम का परिणाम होता है लेकिन यहां पर पूंजी का निवेश ब्रिटिश कंपनी कर रही है और जो किसका जोखिम सरकार उठा रही है|

ब्रिटिश सरकार कहती है कि वह पूंजीवादी अर्थव्यवस्था का प्रतिनिधि है और दूसरी ओर उसी पूंजीवाद का उल्लंघन कर रही है, पैसा लग रहा है निजी कंपनी का, जोखिम उसे सहना चाहिए ,लाभ तो निजी कंपनी को मिलेगा लाभ तो सरकार को मिलेगा नहीं, लेकिन,
  चुकी ब्रिटिश सरकार साम्राज्यवादी है इसीलिए पैसा निजी कंपनी लगा रहा है, और जोखिम ब्रिटिश सरकार उठा रही है और निजी कंपनी के द्वारा पैसा लगाने के बाद जो 5% का लाभांश होगा,वह लाभांश ब्रिटेन की पूंजी से नहीं भारतीय राजस्व से जो भारतीय किसानों के माध्यम से आता है|

चुकी ब्रिटिश सरकार का आवरण ही साम्राज्यवादी था इसीलिए इसमें कोई विचित्र बात नहीं है कि सरकार ऐसा क्यों किया|साम्राज्यवादी सरकार का मूल्य उद्देश्य होता है शोषण करना और उसकी जो भी नीतियां होती हैं शोषण के दिशा में ही प्रेरित होती है कभी शोषण का तरीका सरलता के साथ होता है, कभी दमन के साथ होता है, तो कभी प्रत्यक्ष होता है कभी अप्रत्यक्ष होता है लेकिन दोनों स्थितियों में शोषण हीं होता है|

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