Polity Notes Class 7 (पूर्ण प्रभुत्व संपन्न समाजवाद)

पूर्ण प्रभुत्व संपन्न समाजवाद
Must Read Polity Notes (Part 6) भारतीय संविधान की प्रस्तावना
समाजवादी
मूल संविधान की प्रस्तावना में समाजवादी शब्द का समावेश नहीं था | लेकिन 42 वें संविधान संशोधन के द्वारा संविधान की प्रस्तावना में समाजवादी शब्द का समावेश किया गया है जिसका तात्पर्य निजी संपत्ति का राष्ट्रीयकरण करके उसका समान रूप से वितरण करना है|

मूल संविधान की प्रस्तावना में पंथनिरपेक्ष शब्द का समावेश नहीं था लेकिन 42 वें संविधान संशोधन के द्वारा संविधान की प्रस्तावना में पंथनिरपेक्ष शब्द का समावेश किया गया | भारत का मूल संविधान भारत को एक धर्मनिरपेक्ष राज्य घोषित करता है जिसका तात्पर्य है कि राज्य का अपना कोई धर्म नहीं होगा बल्कि राज्य सभी धर्मों के साथ समान आचरण करेगा | पंथनिरपेक्षता,  धर्मनिरपेक्षता का एक व्यवहारिक रुप है |
एस आर मोहली बनाम भारत संघ 1994 के मामले में उच्चतम न्यायालय, भारत को एक पंथनिरपेक्ष राज्य घोषित करता है और यह भी विचार देता है कि पंथनिरपेक्षता संविधान का आधारभूत ढांचा है|
लोकतांत्रिक गणराज्य
इसका तात्पर्य है कि शासक जनता द्वारा निर्वाचित हो और शासनाध्यक्ष वंशानुगत ना हो | ब्रिटेन लोकतांत्रिक तो है लेकिन गणराज्य नहीं है, क्योंकि शासन की शक्तियां जनता के निर्वाचित प्रतिनिधियों के हाथों में होती है लेकिन शासक वंशानुगत है इसलिए ब्रिटेन लोकतांत्रिक है पर गणराज्य नहीं जबकि भारत लोकतांत्रिक भी है और गणराज्य भी है क्योंकि भारत का राष्ट्रपति वंशानुगत ना होकर जनता द्वारा निर्वाचित प्रतिनिधियों से बनने वाले निर्वाचक मंडल द्वारा निर्वाचित होता है |
प्रस्तावना में संशोधन
बेरुबाड़ी के मामले में उच्चतम न्यायालय ने यह निर्णय लिया कि प्रस्तावना संविधान का भाग नहीं है इसलिए संसद Article 368 का प्रयोग करके प्रस्तावना में संशोधन नहीं कर सकती | इस निर्णय के पश्चात प्रस्तावना की प्रकृति असंशोधनीय हो गई | केशवानंद भारती बनाम केरल राज्य 1973 के मामले में उच्चतम न्यायलय ने अपने पूर्व के निर्णय के विरुद्ध यह निर्णय दिया कि प्रस्तावना संविधान का भाग है, तथा संसद Article 368 का प्रयोग करके प्रस्तावना में संशोधन कर सकती है| लेकिन इस मामले में उच्चतम न्यायालय ने आधारभूत ढांचे के सिद्धांत का प्रतिपादन किया और यह स्पष्ट किया कि Article 368 का प्रयोग करके संसद संविधान में ऐसा कोई भी संशोधन नहीं कर सकती जो आधारभूत ढांचे के विरुद्ध हो अतः संसद की संविधान संशोधन करने की शक्ति आधारभूत ढांचे तक सीमित है|
भोगोलिक दृष्टि से भारत एक बड़ा देश है जिसके कारण किसी एक स्थान से भारत का शासन संचालित नहीं किया जा सकता | इसलिए संविधान निर्माताओं ने व्यापक भौगोलिक क्षेत्र और विभिन्नताओं के कारण संघीय संविधान की स्थापना की, जिसका उद्देश्य केंद्र व राज्यों के मध्य शक्तियों का विभाजन करके दोहरे शासन प्रणाली की स्थापना करना था|
Article 01
इंडिया अर्थात् भारत राज्यों का एक संघ होगा | भारतीय संविधान के स्वरुप को स्पष्ट करते हुए प्रारुप समिति के अध्यक्ष डॉ आंबेडकर ने यह विचार दिया कि भारत का संविधान एक संघीय संविधान है जो केंद्र व राज्यों के मध्य शक्तियों का विभाजन करके दोहरे शासन प्रणाली की स्थापना करता है | विश्व के प्रथम लिखित संघीय संविधान (अमेरिका के संघीय संविधान) से यदि तुलना की जाए तो दोनों संघीय संविधानों में कुछ समानताएं थी तो कुछ असमानताएं भी थी| समानता यह कि दोनों संघीय संविधान इकाइयों को संघ से अलग होने का अधिकार प्रदान नहीं करता जबकि असमानता यह कि अमेरिकी संघ आपसी समझौते का परिणाम है जबकि भारतीय संघ समझौते का परिणाम नहीं इसलिए भारत को यूनियन एवं अमेरिका को परिसंघ कहते हैं

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