Polity Notes (Part 6) भारतीय संविधान की प्रस्तावना

किसी भी संविधान या अधिनियम का प्रारम्भ प्रस्तावना से होता है , जिसमे उन उददेश्यों को समाहित किया जाता है जिन उददेश्यों को लेकर संविधान या अधिनियम का प्रारम्भ किया जाता है | प्रस्तावना मूल्यों पर आधारित होती है , जिसके आधार पर भविष्य के निर्माण के लिए उद्देश्य निर्धारित किये जाते है |

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भारतीय संविधान निर्माताओ ने भी जिन उददेश्यों को लेकर भारतीय संविधान का निर्माण किया वे उददेश्य संविधान की प्रस्तावना में नीहित है, इसलिए उच्चतम न्यायालय ने प्रस्तावना के सम्बन्ध में यह विचार दिया की प्रस्तावना के पढ़ने से संविधान निर्माता के विचारो को जानने में  सहायता मिलती है |

भारतीय संविधान के प्रस्तावना के अनुसार –

” हम भारत के लोग भारत को पूर्ण प्रभूत्व संपन्न , समाजवादी , पंथ निरपेक्ष , लोकतांत्रिक गण राज्य बनाने के लिए _ _ _ _ _ _ _ _ _ _ _ _ _ _ _ _ _ _ _ _ _ _ इस संविधान को 26 नवम्बर 1949 को अंगीकृत करते है | ”

हम भारत के लोग, भारत को एक सम्पूर्ण प्रभुत्व सम्पन्न, समाजवादी, पंथनिरपेक्ष, लोकतंत्रात्मक गणराज्य बनाने के लिए तथा उसके समस्त नागरिकों को :

सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक न्याय, विचार, अभिव्यक्ति, विश्वास, धर्म और उपासना की स्वतंत्रता, प्रतिष्ठा और अवसर की समता प्राप्त करने के लिए तथा

उन सबमें व्यक्ति की गरिमा और राष्ट्र की एकता और अखण्डता सुनिश्चित करनेवाली बंधुता बढ़ाने के लिए

दृढ संकल्प होकर अपनी इस संविधान सभा में आज तारीख 26 नवम्बर 1949 ई0 (मिति मार्ग शीर्ष शुक्ल सप्तमी, सम्वत् दो हजार छह विक्रमी) को एतदद्वारा

इस संविधान को अंगीकृत, अधिनियमित और आत्मार्पित करते हैं।

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